कोशी में काशी: 15008 दीपों और महाआरती से किया गया सिंहेश्वर में हिंदू नववर्ष का स्वागत
मधेपुरा में हिंदू नववर्ष का स्वागत बड़े ही अनोखे अंदाज में किया गया. सिंहेश्वर मंदिर का शिवगंगा तट जब शाम को 15008 दीपों और सतरंगी बल्बों की रौशनी से जगमग होना शुरू हुआ, देखने वालों की ऑंखें मानो ठहर सी गई हों.
भगवान राम और महादेव के जयकारे गौरवशाली हिन्दू परम्परा को जीवंत कर रहे थे. बनारस की गंगा आरती परम आध्यात्म की ही अनुभूति करा रही थी. अवसर था श्रृंगी ऋषि सेवा फाउंडेशन के सौजन्य से विक्रम संवत 2080 के पहले दिन के स्वागत समारोह का. अलग-अलग संस्थाओं के युवाओं के द्वारा बनाई गई रंगोली, सेल्फी के लिए श्रृंगी ऋषि, भगवान राम की प्रतिमा भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा. पिछले कुछ वर्षों से सिंहेश्वर में शुरू की गई इस परंपरा से हिन्दू नववर्ष का आयोजन भी बड़ा भव्य बन जा रहा है.
काशी के तर्ज पर भव्य संध्या महाआरती की गई. सिंहेश्वर में वैसे तो इससे पहले भी गंगा आरती का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बार के विशेष आयोजन ने हर किसी को काशी की गंगा आरती की भव्यता की याद ताजा कर दी. इस अवसर पर संस्था के संस्थापक भाष्कर कुमार निखिल ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों में नया साल मनाने का आधार किसी व्यक्तिगत घटना व स्थान से जुड़ा है. विदेशी लोग भी अपने नव वर्ष अपने देश की सामाजिक और धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं. लेकिन, हमारा नववर्ष सबसे अनूठा और सर्वाधिक वैज्ञानिक है.
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