बीएनएमयू : नए कोर्स शुरू होने की दिशा में प्रयास तेज

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भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की स्थापना 10 जनवरी, 1992 को हुई थीं और यह कोसी एवं पूर्णियाँ प्रमंडल के सात जिलों में फैला था। गत 18 मार्च, 2018 में इसे विभाजित कर पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णिया का गठन किया गया है। अब इस विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कोसी प्रमंडल के तीन जिलों मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल तक है। यह एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है, जहाँ रोजगारपरक शिक्षा-सुविधाओं की काफी कमी है।  

*हाल के वर्षों में शुरू हो चुके हैं कुछ कोर्स*

यहाँ हाल के वर्षों में व्यावसायिक एवं रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। इसी कड़ी में तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय एवं तत्कालीन प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. फारूक अली के कार्यालय में यहाँ बीएलआईएस एवं एमएलआईएस की पढ़ाई शुरू होना एक वरदान की तरह है। साथ ही मुख्यायल में बी. एड. एवं एम. एड. की पढ़ाई शुरू होने से विद्यार्थियों को काफी लाभ मिल रहा है। ये सभी कोर्स विद्यार्थियों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए हैं। इनमें नामांकन के लिए काफी आवेदन प्राप्त होता है। 

*विभिन्न निकायों में हो चुके हैं निर्णय* 

आगे वर्तमान कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण एवं प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह ने कुछ अन्य पाठ्यक्रमों को शुरू करने में अपनी रूचि दिखाई है। इन संदर्भ में 23 दिसंबर, 2020 को आयोजित विद्वत परिषद् की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। इन निर्णयों का जनवरी 2021 में आयोजित अभिषद् की बैठक एवं अधिषद् के वार्षिक अधिवेशन में अनुमोदन भी प्राप्त हो चुका है। आशा की जा सकती है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र के विद्यार्थियों को नए-नए पाठ्यक्रमों को पूरा करने का अवसर मिल सकेगा।

मालूम हो कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के अंतर्गत उससे संबंधित पीजी डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में विभिन्न निकायों में निर्णय भी लिए गए हैं, लेकिन सभी प्रक्रियाएँ पूरी नहीं हो पाई हैं। अतः विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन पाठ्यक्रमों को शुरू करने की प्रक्रिया को गति देने का निर्णय लिया है। कुलपति के आदेशानुसार निदेशक (अकादमिक) डाॅ. एम. आई. रहमान एवं उपकुलसचिव (अकादमिक) डाॅ. सुधांशु शेखर इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

आधुनिक युग की जरूरतों से जुड़े हैं सभी प्रस्तावित कोर्स* 

डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि विश्वविद्यालय में प्रस्तावित सभी कोर्स आधुनिक युग की माँगों और कोसी-सीमांचल की भौगोलिक एवं सामाजिक जरूरतों से संबंधित हैं। सभी कोर्सों को सुविधा की दृष्टि से उससे संबंधित स्नातकोत्तर विभागों से जोड़कर शुरू करने की योजना है।

*पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन*

डाॅ. शेखर ने बताया कि पीजी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन अर्थात् पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के अंतर्गत शुरू होना है। यह कार्य लंबे समय से प्रतिक्षित है। इसकी नियमावली एवं पाठ्यक्रम के निर्माण हेतु दिसंबर 2018 में ही एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपना प्रतिवेदन अकादमिक शाखा में समर्पित भी कर दिया है। शीघ्र ही 23 प्वाइंट फार्म भरकर इस पाठ्यक्रम को स्वीकृति हेतु राजभवन सचिवालय प्रेषित किया जाएगा। इस कोर्स से यहाँ के विद्यार्थियों को विभिन्न मीडिया संस्थानों में कार्य करने का अवसर मिल सकेगा। साथ ही विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में जनसंपर्क पदाधिकारी और प्रवक्ता के रूप में भी कार्य किया जा सकता है। साथ ही यू-ट्यूब एवं अन्य माध्यमों से स्वरोजगार या स्वतंत्र लेखन करके भी पैसा एवं शोहरत प्राप्त किया जा सकता है।

*पी. जी. डिप्लोमा इन योगा*

पी. जी. डिप्लोमा इन योगा अर्थात् योग में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम दर्शनशास्त्र विभाग में शुरू होगा। इस हेतु विभाग से नियम-परिनियम एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति के गठन का प्रस्ताव प्राप्त हो चुका है। कुलपति के आदेशोपरांत इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी। आज योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त है और भारत सरकार भी योग को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में यह कोर्स काफी महत्वपूर्ण है। इस कोर्स में सफल विद्यार्थी योग शिक्षक-प्रशिक्षक के रूप में कैरियर बना सकते हैं और समाज एवं राष्ट्र की सेवा में भी योगदान दे सकते हैं। आज कोरोनाकाल में आधुनिक जीवन में योग की महत्ता के मद्देनजर इस कोर्स में निष्णात विद्यार्थियों को भारत के अलावा विदेशों में भी कार्य करने का अवसर मिल सकता है।

*पी. जी. डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेन्ट*

पी. जी. डिप्लोमा इन स्ट्रेस मैनेजमेन्ट अर्थात् तनाव प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स के लिए स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग को अधिकृत किया गया है। आज स्ट्रेस मैनेजर या तनाव प्रबंधक की आज सभी सरकारी एवं निजी संस्थानों को जरूरत है। 


*पी. जी. डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेन्ट*

तथा पी. जी. डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेन्ट अर्थात् आपदा प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर भूगोल विभाग के अंतर्गत शुरू होना है। विभाग से विधिवत प्रस्ताव आने पर इसकी समिति का गठन किया जाएगा। बिहार सहित पूरे देश में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यबल की काफी कमी के कारण रोजगार के काफी अवसर हैं। बाढ़ एवं अन्य आपदाओं से ग्रसित कोसी क्षेत्र के लिए तो आपदा प्रबंधन अपरिहार्य है।


*पी. जी. डिप्लोमा इन हाउसिंग सेक्टर एण्ड अर्बन डेवलपमेंट स्टडीज*


पी. जी. डिप्लोमा इन हाउसिंग सेक्टर एण्ड अर्बन डेवलपमेंट स्टडीज कोर्स अर्थात् हाउसिंग सेक्टर एवं ग्रामीण विकास में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग के अंतर्गत संचालित किया जाएखा। इसकी प्रक्रिया चल रही है। यह कोर्स भी न केवल रोजगार एवं विकास की दृष्टि से, बल्कि पर्यावरण को दृष्टिकोण से भी उपयोगी हो सकता है।


*बीएनएमयू में होगी गाँधी विचार की पढ़ाई*


इसी माह स्नातकोत्तर एवं स्नातक स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई करने हेतु नियम-परिनियम एवं पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन किया गया है। समिति में प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह को अध्यक्ष और अस्सिटेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) डाॅ. सुधांशु शेखर को सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। शीघ्र ही समिति की बैठक आयोजित कर इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा।

गाँधी विचार का पाठ्यक्रम भी आज काफी रोजगारपरक हो गया है। इससे डिग्री प्राप्त करने के बाद विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं, बुनियादी विद्यालयों, पीस स्टडीज सेटरों, पंचायती राज आदि में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही पर्यावरण असंतुलन, आतंकवाद, सांप्रदायिकता, बेरोजगारी, विषमता आदि समस्याओं के समाधान हेतु भी इस पाठ्यक्रम की महती उपादेयता है।

Posted By: Devashish Yadav

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