स्वर्ण व्यवसायी के घर चोरी मामले में नया पेंच: कैसे छूट गया आरोपी?

मधेपुरा जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र के सूर्यगंज गांव में बीते सोमवार को एक स्वर्ण व्यवसायी दीपक स्वर्णकार के घर आभूषण चोरी का मामला प्रकाश में आया तो लोग सकते में आ गये. चोरी रात को नहीं बल्कि अहले सुबह को हुई, जब स्वर्ण व्यवसायी अपने परिवार जन के साथ छठ घाट पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर गये थे. इसी दौरान स्वर्ण व्यवसायी के घर चोरी की वारदात हुई. चोरी की खबर जंगल में लगी आग की तरह चारों ओर फैल गई. दर्जनों लोग पीड़ित परिवार के यहां पहुंचकर चोरी की वारदात की कहानी सुनी. कैसे चोर खिड़की तोड़कर घर में प्रवेश किया और अलमारी के लॉकर को तोड़कर आभूषण की चोरी की. 

चोरी की घटना घटी तो पुलिस भी पहुंची और घटना स्थल का मुआयना किया. पुलिस चोर गिरोह की तलाश में जुटी तो गुप्तचर के माध्यम से पुलिस को कुछ सूत्र मिला तो पुलिस ने सूर्यगंज निवासी एक व्यक्ति को हिरासत में लिया और पूछताछ की तो मामले का उद्भेदन हो गया. 

प्रेम कुमार ने बताया कि चोरी के जेवरात को गम्हरिया के एक स्वर्ण व्यवसायी मिथिलेश कुमार के हाथों बेच दिया है. प्रेम के निशान देही पर मिथिलेश के घर छापेमारी कर चोरी के जेवरात के साथ व्यवसायी मिथिलेश को पुलिस ने हिरासत में  लिया. लोगों में भी कौतुहल का विषय बना था कि पुलिस ने कैसे पांच घंटे के भीतर मामले का उद्भेदन कर चोरी गये आभूषण सहित चोर को पकड़ लिया लेकिन मंगलवार की सुबह जब लोगों को यह पता चला कि चोरी के मामले में पकड़े गये आरोपी को पुलिस ने छोड़ दिया है तो लोगों के बीच एक बार फिर पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्न उठने लगा. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कैसे छूट गया चोरी का आरोपी.

हालांकि थानाध्यक्ष त्रिलोकीनाथ शर्मा ने बताया कि पीड़ित स्वर्ण व्यवसायी दीपक स्वर्णकार दिन भर चोरी के मामले में आवेदन नहीं दिया. संध्या के समय आये और लिखित के रुप में दीपक स्वर्णकार ने कहा कि चोरी की वारदात की सूचना गलतफहमी में आकर दिये थे. मेरे यहां चोरी नहीं हुई. मेरे एक रिश्तेदार छठ पूजा को लेकर मेरे यहां साथ में जेवर लेकर आये थे, वे बिना बताये चले गए तो हमे लगा कि चोर ने घर में चोरी कर ली है. लोग बताते हैं कि अपराधियों के भय के कारण पीड़ित परिवार चोर और पुलिस के झमेले से दूर रहना चाहते हैं. 

हालांकि पकड़े गए युवक और जब्त जेवर के साथ उस व्यवसायी को पुलिस ने छोड़ दिया, जिन्होंने चोरी के जेवरात की खरीद की थी.

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