मधेपुरा का मेडिकल कॉलेज अस्पताल हो रहा है सफेद हाथी साबित, उद्धारक की तलाश

बिहार के खासकर कोसी तथा सीमांचल क्षेत्र के लिए बना मधेपुरा का जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी आज सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है. 

दरअसल 800 करोड़ की लागत से बना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधा के नाम पर मरीजों को कुछ भी नहीं मिल रहा है और स्थिति यह है कि सरकार और प्रशासन के लाख दावे के बाबजूद भी यहाँ लोगों को सही समय पर इलाज की सुविधा मयस्सर नहीं है. जाहिर है जितना इससे लोगों को लाभ नहीं है उससे अधिक खर्च इसके रखरखाव पर खर्च हो जाते होंगे.


अस्पताल में मरीज अपने निर्धारित समय से पहुँच तो जाते हैं लेकिन चिकित्सकों के इंतजार में कई घंटे मजबूरन उन्हें आराम की मुद्रा में घंटों रहना पड़ता है. लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के जवाबदेह अधिकारी हीं लेट होते हैं तो चिकित्सक भी क्यों न इस वक्त का लाभ उठावें.  

इस इलाके के लोगों की उम्मीदों को उस दिन पंख लग गए थे जब 07 मार्च 2020 को इस बहुचर्चित जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल का उद्घाटन बिहार के सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने संयुक्त रूप से किया था. उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री की ख़ुशी उनके संबोधन में साफ़-साफ़ दिखाई इ रहा था. इतने विशाल और अत्याधुनिक अस्पताल के 

निर्माण में 15 वर्ष लगे थे. सीएम ने संबोधन में लोगों को 16 साल पहले बिहार की स्वास्थ्य सेवा की याद दिलाते कहा था कि एक बार हम एक पत्रकार से मिलने एक अस्पताल गये थे तो वहां बेड पर कुत्ता बैठा था. देख कर हम हैरान हो गए लेकिन आज स्थिति में काफी बदलाव हुआ है . जरा सुनिए इस वीडियो में बिहार के मुखिया ने क्या कुछ कहा ..


नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री (7 मार्च 2020)  


पर मधेपुरा के इस मेडिकल कॉलेज से क्या बदलाव हुआ है, ये देखिये. 800 करोड़ की शानदार बिल्डिंग में पंखे की हवा में मरीज और उनके परिजन डॉक्टर साहब के आने और देखने का इंतजार करते रहते हैं. स्थिति इतनी जरुर बदली है कि भले बेड पर कुत्ते नहीं बैठे मिले हों, भवन की सीढ़ी पर कुत्ते आराम करते मिल जाएँगे. तस्वीर खुद बयां कर रही है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी का समय 8 बजे से 1 बजे तक का है, लेकिन 10 बजे तक किसी विभाग के किसी कमरे में डॉक्टर साहब नहीं मिल रहे हैं. जाहिर है चिकित्सक समय-सारणी के मुताबिक़ अस्पताल से अनुपस्थित हों तो दूर-दराज से आने वाले गंभीर मरीजों को बड़ी परेशानी झेलनी ही पड़ेगी.


इस सम्बन्ध में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य और अधीक्षक कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते हैं. अस्पताल के इन बदहाली पर उपाधीक्षक डॉ, कृष्ण प्रसाद से बात करने का प्रयास किया गया तो वे भी कैमरे से बच कर भागते रहे. जरा सुनिए.


डॉ. कृष्णा प्रसाद, उपाधीक्षक, जेकेटीएमसीएच, मधेपुरा


आलम यह है कि लोगों की बड़ी आश बने बहुचर्चित जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल को लेकर मरीज आंसू बहाने को मजबूर हैं. ऐसी स्थिति में समूचे सिस्टम पर उठता है एक बड़ा सवाल जिसके कटघरे में खड़ी है बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था.

कुमार शंकर सुमन

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