पिता के दाह संस्कार से लौट रहे युवक को पुलिस ने कर लिया था गिरफ्तार, न्यायालय ने फटकार लगाते हुए कहा तुरंत रिहा करें …

दरअसल 23 अगस्त को मधेपुरा जिला की गम्हरिया थाना की पुलिस ने दो युवक को शराब रखने के मामले में गिरफ्तार कर लिया जबकि एक के भाग जाने की बात बताई. इस सम्बन्ध में पुलिस ने गम्हरिया थाना में 136/21 मामला भी दर्ज किया. पुलिस ने बताया कि उक्त दोनों युवक शराब के साथ पकड़ा गया है ये इस कारोबार में लिफ्त है जबकि एक भाग गया जिसके धर पकड़ के लिए छापेमारी जारी है .

मंगलवार को जब न्यायालय में पुलिस ने उक्त दोनों युवक को पेश करते हुए रिमांड की मांग किया तो न्यायालय ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाईं. उत्पाद के विशेष न्यायाधीश विनय प्रकाश तिवारी की कोर्ट ने दोनों आरोपितों के खिलाफ उपयुक्त साक्ष्य के नही रहने के कारण रिमांड नही किया. उत्पाद के रिमांड अधिवक्ता ऋषिकेश कुमार ने बताया कि गम्हरिया थाना से सम्बन्धित मामले में शराब कारोबार के आरोप में दो युवकों को पुलिस ने शराब कारोबार करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. रिमांड के लिए जब पुलिस उसे कोर्ट लाई तो कोर्ट ने दोनों आरोपी के खिलाफ किसी भी तरह का साक्ष्य उपलब्ध नही रहने के पर पुलिस को फटकार लगाते हुए रिमांड लेने से मना कर दिया और पुलिस को दोनों आरोपित को मुक्त करने को कहा.

अधिवक्ता, ऋषिकेश कुमार

अधिवक्ता ने बताया कि रिमांड के दौरान आरोपी ने पूछताछ और एफ़आईआर और डायरी के अवलोकन से स्पष्ट हुआ कि दोनो युवक के खिलाफ कोई भी उपयुक्त साक्ष्य नही है. आरोपी अमित कुमार मंडल ने यह सिद्ध किया कि इस मामले से उसका कोई लेना देना नही है वो पिता के दाह संस्कार से घर लौट रहा था पुलिस उसे जबरदस्ती गिरफ्तार कर कोर्ट ले आई.वहीँ दुसरे युवक ने बताया कि वो अपने घर जा रहा था रस्ते से जबरन पुलिस उसे उठा ली और न्यायालय में पेश कर दिया. बताया अब न्यायाधीश विनय प्रकाश तिवारी ने दोनों अभियुक्तों को मुक्त करने का आदेश दे दिया है.

लगातार दूसरी बार मधेपुरा पुलिस को रद्दी तफ्तीश और कमजोर साक्ष्य के कारण लगा फटकार : ये लगातार दूसरा मामला है जब मधेपुरा पुलिस के रद्दी तफ्तीश और कमजोर साक्ष्य की पोल कोर्ट में खुल गयी. ये लगातार दूसरी बार सिद्ध हुई कि मधेपुरा पुलिस राह चलते लोग को भी उठा लेती है और किसी भी मामले में डाल देती है.अभी इस मामले से पूर्व मधेपुरा पुलिस ने दिल्ली से एक ट्रक मालिक को गिरफ्तार कर शराब कारोबारी बताया था जिसको उपयुक्त साक्ष्य नही मिलने के कारण न्यायालय ने रिमांड देने से मना कर दिया था.

तो क्या मधेपुरा पुलिस की इतनी रद्दी तफ्तीश है कि पिता के दाह संस्कार से लौट रहे युवक को अकारण शराब मामले में गिरफ्तार कर लेगी ? : इस गिरफ्तारी के बाद मधेपुरा पुलिस सवालों के घेरे में है. जिस पुलिस पर रक्षक होने का ठप्पा लगा हुआ है , रक्षा करती भी है, वो कभी किसी इस तरह के निर्दोष युवक को शराब कारोबार के जैसे गंभीर मामले में गिरफ्तार कर लेगी जो कुछ देर पूर्व अपने बाप को पञ्च तत्व में विलिन करके आ रहा हो ?क्या राह चलते राहगीर को पुलिस गिरफ्तार कर लेगी और किसी मामले में जेल भेज देगी ?ये तो उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व तैनात एक दारोगा की बात के सच होने वाली बात हो गयी जब वो किन्ही से अवैध हथियार की मांग कर रहा था जिससे वो किसी को फंसा पाए. दारोगा जी का वो ऑडियो वायरल हो गया था जब वो अवैध हथियार की मांग किसी को फंसाने के लिए कर रहा था.हालाँकि कोसी टाइम्स पर खबर आने के बाद उस दारोगा पर कार्रवाई हुई थी वो निलम्बित कर दिए गये थे.

कुछ दिन पूर्व जब मधेपुरा जिला के प्रथम एसपी और बिहार के पूर्व डीजीपी श्री अभ्यानंद कोसी टाइम्स से मुखातिब  थे तो उन्होंने इस बात पर जोड़ दिया था कि पुलिस की तफ्तीश अब ढीली पर गयी इसे तेज और तीक्ष्ण करने की आवश्कता है .इन दो मामलों को देखने से पता चलता है कि सच में पुलिस को अपनी तफ्तीश को तीक्ष्ण करने की आवश्यकता है.

वहीँ इस सम्बन्ध में जब इस कांड के आईओ वीर नारायण सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि न्यायलय का फैसला सर्वमान्य है.उनका जो आदेश है हम उसी अनुसार कार्य करेंगे. जब शराब नही रखा था तो उसे पकड़ क्यों लाई पुलिस के सवाल पर उन्होंने कहा गिरफ्तारी के समय मै नही था.किस स्थिति में उसे गिरफ्तार किया गया इसकी जानकारी मुझे नही है. उन्होंने कहा इन दोनों को मुक्त किया गया है लेकिन एक जो भाग गया है उसके गिरफ्तारी हेतु छापेमारी जारी है. बाप का दाह संस्कार से लौट रहा था युवक बिना कारण उसको गिरफ्तार कर लिया गया के जबाब में वो कहते है इसकी मुझे जानकारी नही है.

बड़ा सवाल है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो समाज में लोग किस पर भरोसा कर खुद को महफूज महसूस करे. न्यायालय से दो बेकसूर युवकों को न्याय मिला .बाप को खोने के बाद खुद के लुटने से बच निकले युवक न्यायालय का शुक्रिया अदा किया है . न्यायालय के इस फैसले के बाद एक बार फिर आमजनमानस में ये सन्देश बुलंदी से गया है कि निर्दोष- निरपराध- बेगुनाह लोगों को न्यायालय से न्याय मिलता है.

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